सोमवार, 31 मार्च 2014


    
साथियों ,पार्किंसन के इस मंच पर आपका स्वागत है .सबसे पहले आप ये मान के चलें की आप कतई बीमार नहीं हैं ,आप पर्किंसन को एक बीमारी नहीं ,बल्कि जीवनशैली बदलने का मौका समझिए .नियमित व्यायाम ,सुबह –शाम टहलना ,सामाजिक सरोकार एवं पौष्टिक भोजन .यही नहीं जीवन के प्रति ,नजरिये में बदलाव भी आपमें क्रन्तिकारी परिवर्तन लाएगा .
                       पार्किन्सन आधुनिक जीवन शैली का अभिशाप है .लेकिन हम अपने प्रयासों से इस अभिशाप को वरदान में बदल सकते हैं .कैसे?  आईये इसे समझने की कोशिश करें .अबतक आप अपने लिए जी रहे थे .अपने आप सारा काम कर लेते थे .सही है न ?फिर धीरे धीरे आपने महशुस किया होगा आपके काम करने की गति धीमी पड़ने लगी है .रोजमर्रा के कामो में भी आपको किसी की मदद की जरुरत पड़ने लगती है .ऐसा कंपन के कारण भी होता है .जैसे बटन बंद करना ,सुई में धागा डालना ,पायजामा पहनना वगैरा .यूँ ये सारे बुढ़ापे के लक्षण हैं .लेकिन अगर आपकी उम्र कम है तो इसी समय आपको डाक्टर के राय की जरुरत है .पर्किंसन की पहचान किसी भी प्रकार के जाँच से नहीं होती इसलिए कोई अनुभवी डाक्टर ही आप के लक्षण देख कर आपमें पर्किंसन होने न होने का फैसला करेगा .अगर आपमें इसके लक्षण हैं तो अपने आप को बदलने में देर ना करें .वैसे तो इसकी कई तरह की दवाएं हैं ,लेकिन ये दवाएं बीमारी को बढने से रोकने के लिए हैं न की निर्मूल करने के लिए .इसलिए ऐसा कुछ करना होगा जिससे हम अपने आप को उन्ही पिस्थितियों के अनुसार ढाल लें .
              शरीर की जकडन ,कंपन ,असंतुलन एवं अवसाद इसके खास लक्षण हैं .इसमें अवसाद सबसे घातक है .कहते भी हैं .एक चिंता आपके पूरे शरीर को घुन की तरह चाट जाती है .बहुत तरह के सोच आपके दिमाग में आयेंगे .ऐसा मुझे ही क्यों हुआ ?यह किसी पाप की सजा है ,अब मै अपना बाकि जीवन कैसे बिताऊंगा ?इसलिए सबसे पहला काम ये करें की इसे ही दूर भगाएं .कैसे ? दिमाग को कभी खाली ना रखें यूँ तो टी.वी. देखना किताबें पढ़ना ,गाना सुनने से मन बदलता है लेकिन जल्दी ही फिर से बुरे खयान आने लगते हैं लोगों से मिलना-जुलना ,बातें करना दिमाग को व्यस्त रखने का सबसे बढिया तरीका है .लोग तुरंत पूछ बैठेंगे ,किस् से बात करें? किसे इतनी फुर्सत है जो मेरे जैसे निठ्ठल्ले को अपना समय देगा .इसके लिए आप ऐसे लोगों को चुने जिनसे आपने कभी बात करने की कोसिस नहीं की .वो है आपका दूधवाला ,पेपरवाला,रोज टहलने के क्रम में नुक्कड़ के पनवाड़ी को न भूलें भले इससे आपको पान खाना पड़े .ये खबरों की दुनिया के उस्ताद होते हैं कौन कहाँ गया और अभी देश का हाल –चाल कैसा है ये  झट से बता देते हैं .आपने घर के बाहर कदम रखा, समझिए आपकी आधी बीमारी गयी .टहलने से शरीर की  जकडन दूर होगी .सबेरे की हवा तन ही नहीं मन को भी प्रफुल्लित कर देता है 
                 अगर आपके मन में इससे सम्बंधित कोई चिंता ,समाधान हो तो हमारे साथ साझा करें  .