शनिवार, 9 अगस्त 2014

आइये प्रकृति की शरण में चलें .

आइये प्रकृति के शरण में चलें .
आधुनिक जीवन शैली ,हमारी सेहत को किस तरह बर्बाद कर रही है ,वह चौंकाने वाला है .अस्पतालों में बढती भीड़ ,नई-नई बीमारियाँ .कुछ तो लाइलाज हो चली है .यानी जीवन भर दवाइयों के सहारे जिन्दा रहने की मजबूरी फिर उसके साइड इफेक्ट फउसकी दवाइयां .एक ऐसा दुष्चक्र जिसमे मनुष्य एक बार फंसता है तो फंसता ही चला जाता है.निष्कर्स यह निकला जा सकता है की आपके खून पसीने की गाढ़ी कमाई धीरे -धीरे डाक्टर की जेब में चली जाती है.
                    बीमारी जब महामारी का रूप लेले तो हमे यह समझ लेना चाहिए की प्रकृति हमे चेतावनी दे रही है की अब हम सुधर जाएँ और जीवन को उसके नैसर्गिक रूप में स्वीकार करें
                       अपनी जीवन शैली बदलने में अंग्रेजी के वर्णों से बने दो शब्दों को अगर हम मन्त्र रूप में अपना लें तो कोई आश्चर्य नही की जीवन भर स्वस्थ रह सकते है .newstart यह दो जादुई शब्द हैं जिसे हम सब  को आत्मसात    कर लेना चाहिए इसका हर वर्ण अपने अंदर अच्छी सेहत कारज छुपाये हुए है .जरुरत है उसको समझने की ,उसपर अमल  करने की शब्द न्युस्तार्ट से  वास्तव में नव जीवव की शुरुआत होगी ;  
N-{न्यूट्रीशन} पौष्टिक आहार - फास्ट फ़ूड ,डिब्बाबंद भोजन कोई भी परिष्कृत सामग्री रिफाइनड,फलों का जूस न लेकर साबुत ताजे फल खाएं
.
E-{एक्सरसाइज}-नियमित रूप से कसरत करें ,सबेरे उठ के टहलने की  आदत डालें.नियमित रूप से किये जाने पर प्रयाणं ,चमत्कारी फल देता है
W-[वाटर}जल ही जीवन है.इस तथ्य को स्वीकार करते हुए .रोज कमसे कम तीन लीटर पानी पियें

S-{सन }बड़े शहरों में हर जगह ए.सी के चलन के कारण लोग सूर्य के सीधे संपर्क में कम ही आते हैं जबकि विटामिन डी का एक मात्र श्रोत धूप है जो शरीर विशेषतह हड्डियों के लिए जरूरी है इस लिए जब भी मौका मिले ,शरीर  पर सीधे धूप लगाएं
T-[टेम्परेन्स }यानी किसी भी प्रकार के नशे की चीज का सेवन न करें .
A-{एयर] शुद्ध हवा का सेवन करें जो प्रातः काल टहलने से मिलेगी .     
R-{रेस्ट] काम के बाद आराम की सख्त जरूरत होती है .इसलिए आराम जरूर करें. कम से कम पांच घंटा या सात घंटे की नींद जरूर लें .दिन काम करने के लिए  है और रात आराम के लिए .रात  की नींद का अलग महत्व है .इससे शरीर में ताजगी और स्फूर्ति आती है .
T-{ट्रस्ट} अर्थात विश्वास.ईश्वर पर आस्था बनाये रखें .एक स्वस्थ्य शरीर के लिए स्वस्थ मन भी होना चाहिए .दूसरों के प्रति दुर्भावन ईर्ष्या ,क्रोध चिंता भीतर ही भीतर शरीर को खोखला बना  देती है  इस लिए अपने अपने आराध्य पर भरोसा रखें .व्व्ही सब कुछ ठीक करेंगे .

                    प्रकृति के बनाये नियमों का पालन करके अर्थात सूर्योदय के साथ उठाना और सूर्यास्त के बाद हल्का भोजन कर सोने की तैयारी करके आठ या नौ बजे तक बिस्तर पर चले जाएँ इन नियमों को अपनाकर एक सेहतमंद जीवन का आनंद उठायें








शनिवार, 12 अप्रैल 2014

ब्पर्किन्सन -भ्रांतियां तथा चिकित्सा .


पचास साल की उम्र में जब दिल्ली के एक फिजिसियन ने मुझमे पर्किंसन के लक्षण देखे और  मुझे बताया तो सुन कर मै सन्न रह गयी मन में सबसे पहले यही सवाल आया की ये अंग्रेजों वाली बीमारी मुझे क्यों हो गयी ? आम धारणा है की चूँकि विदेशी अपने खाने में हल्दी का प्रयोग नहीं करते इसलिए उनको इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है.इसी तरह ढेरों गलत फहमियां इस बीमारी के साथ जुडी हुई हैं .जबकि सच्चाई यह है की लाख प्रयासों के बावजूद ,अभी तक इस पर शोध करने वाले अँधेरे में तीर मार रहे है.यह क्यों होती है ?ये क्यों होती है भले अनिश्चित है लेकिन यह जरूर निश्चित है की एक बार जब इस से सम्बंधित नसें अपना काम करना बंद कर देती हैं जिससे आपका क्रिया- कलाप प्रभावित हो जाता है फिर जो भी लक्षण उभर कर आते हैं उसे पूर्ण रूप से सामान्य बनाना संभव नहीं होता .यह एक कटु सत्य है .हाँ नियमित व्यायाम पोस्टिक भोजन एवम तनावमुक्त जीवन शैली से इसे काफी हद तक रोका जरूर जा सकता है .एलोपैथी चिकित्सा पद्धति इसे पूर्ण रूप से खत्म करने का दावा  नही करती और इसे बढने से रोकने वाली दवाओं के प्रयोग से आपके शरीर पर जो दुष्प्रभाव होगा उसे भी स्वीकार करके चलना होगा .होमियोपैथी भी इसे जड़ से खतम नहीं करती दवाएं खाते रहिये बीमारी बढने की रफ्तार कम हो जाती है.
                चीनी चिकित्सा पद्धति एक्युप्रेसर काफी हद तक इसके इलाज में कारगर साबित हुआ है.लकिन पूर्ण रूप से इसे निर्मूल नहीं करता.वैसे बिना कोई दवाई खाए अगर यह असर करता है तो यह सभी चिकित्सा से सर्वोत्तम माना जाएगा .               























.

सोमवार, 31 मार्च 2014


    
साथियों ,पार्किंसन के इस मंच पर आपका स्वागत है .सबसे पहले आप ये मान के चलें की आप कतई बीमार नहीं हैं ,आप पर्किंसन को एक बीमारी नहीं ,बल्कि जीवनशैली बदलने का मौका समझिए .नियमित व्यायाम ,सुबह –शाम टहलना ,सामाजिक सरोकार एवं पौष्टिक भोजन .यही नहीं जीवन के प्रति ,नजरिये में बदलाव भी आपमें क्रन्तिकारी परिवर्तन लाएगा .
                       पार्किन्सन आधुनिक जीवन शैली का अभिशाप है .लेकिन हम अपने प्रयासों से इस अभिशाप को वरदान में बदल सकते हैं .कैसे?  आईये इसे समझने की कोशिश करें .अबतक आप अपने लिए जी रहे थे .अपने आप सारा काम कर लेते थे .सही है न ?फिर धीरे धीरे आपने महशुस किया होगा आपके काम करने की गति धीमी पड़ने लगी है .रोजमर्रा के कामो में भी आपको किसी की मदद की जरुरत पड़ने लगती है .ऐसा कंपन के कारण भी होता है .जैसे बटन बंद करना ,सुई में धागा डालना ,पायजामा पहनना वगैरा .यूँ ये सारे बुढ़ापे के लक्षण हैं .लेकिन अगर आपकी उम्र कम है तो इसी समय आपको डाक्टर के राय की जरुरत है .पर्किंसन की पहचान किसी भी प्रकार के जाँच से नहीं होती इसलिए कोई अनुभवी डाक्टर ही आप के लक्षण देख कर आपमें पर्किंसन होने न होने का फैसला करेगा .अगर आपमें इसके लक्षण हैं तो अपने आप को बदलने में देर ना करें .वैसे तो इसकी कई तरह की दवाएं हैं ,लेकिन ये दवाएं बीमारी को बढने से रोकने के लिए हैं न की निर्मूल करने के लिए .इसलिए ऐसा कुछ करना होगा जिससे हम अपने आप को उन्ही पिस्थितियों के अनुसार ढाल लें .
              शरीर की जकडन ,कंपन ,असंतुलन एवं अवसाद इसके खास लक्षण हैं .इसमें अवसाद सबसे घातक है .कहते भी हैं .एक चिंता आपके पूरे शरीर को घुन की तरह चाट जाती है .बहुत तरह के सोच आपके दिमाग में आयेंगे .ऐसा मुझे ही क्यों हुआ ?यह किसी पाप की सजा है ,अब मै अपना बाकि जीवन कैसे बिताऊंगा ?इसलिए सबसे पहला काम ये करें की इसे ही दूर भगाएं .कैसे ? दिमाग को कभी खाली ना रखें यूँ तो टी.वी. देखना किताबें पढ़ना ,गाना सुनने से मन बदलता है लेकिन जल्दी ही फिर से बुरे खयान आने लगते हैं लोगों से मिलना-जुलना ,बातें करना दिमाग को व्यस्त रखने का सबसे बढिया तरीका है .लोग तुरंत पूछ बैठेंगे ,किस् से बात करें? किसे इतनी फुर्सत है जो मेरे जैसे निठ्ठल्ले को अपना समय देगा .इसके लिए आप ऐसे लोगों को चुने जिनसे आपने कभी बात करने की कोसिस नहीं की .वो है आपका दूधवाला ,पेपरवाला,रोज टहलने के क्रम में नुक्कड़ के पनवाड़ी को न भूलें भले इससे आपको पान खाना पड़े .ये खबरों की दुनिया के उस्ताद होते हैं कौन कहाँ गया और अभी देश का हाल –चाल कैसा है ये  झट से बता देते हैं .आपने घर के बाहर कदम रखा, समझिए आपकी आधी बीमारी गयी .टहलने से शरीर की  जकडन दूर होगी .सबेरे की हवा तन ही नहीं मन को भी प्रफुल्लित कर देता है 
                 अगर आपके मन में इससे सम्बंधित कोई चिंता ,समाधान हो तो हमारे साथ साझा करें  .